
Mahakumbh 2025: महाकुंभ के संगम क्षेत्र में 29 जनवरी को तड़के भगदड़ में 30 लोग मारे गए और 60 घायल हो गए. पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पूर्णेन्दु बसु ने योगी सरकार से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.
पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री और देश बचाओ गणमंच के पदाधिकारी पूर्णेन्दु बसु ने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल सरकार के अनुसार, भगदड़ में राज्य के छह लोग मारे गए और छह अन्य लापता हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश की बीजेपी नीत सरकार ने छह लापता तीर्थयात्रियों की स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं दी. संभवतः मृतकों की संख्या 30 के भीतर रखने और पीड़ितों के परिजनों को मुआवजा देने से बचने के लिए ऐसा किया गया.’’
मृत्यु प्रमाण पत्र जारी नहीं करने का लगाया आरोप
महाकुंभ के संगम क्षेत्र में 29 जनवरी को तड़के भगदड़ में कम से कम 30 लोग मारे गए और 60 घायल हो गए, जब लाखों तीर्थयात्री मौनी अमावस्या के अवसर पर स्नान के लिए जुटे थे. उन्होंने कहा, ‘‘हम उत्तर प्रदेश सरकार से मांग करते हैं कि भगदड़ में मारे गए प्रत्येक व्यक्ति के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया जाए, उनके परिवारों को मुआवजा दिया जाए और मृतकों की संख्या में संशोधन किया जाए. हम घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हैं.’’
यह पूछे जाने पर कि क्या मंच ने उत्तर प्रदेश सरकार के साथ कोई संवाद स्थापित किया है, इस पर बसु ने कहा, ‘‘राज्य, परिवारों और स्वैच्छिक संगठनों की ओर से बार-बार प्रयास किए जाने के बावजूद, उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले एक पखवाड़े में कोई अद्यतन जानकारी नहीं दी है.’’
देश बचाओ गणमंच भारतीय जनता पार्टी-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की नीतियों का विरोध करने वाले नागरिक संस्थाओं के सदस्यों का एक मंच है. मंच ने 2021 और 2023 में बीजेपी को वोट नहीं देने के लिए सक्रिय रूप से अभियान चलाया. इसमें ज्यादातर तृणमूल कांग्रेस समर्थक लोग शामिल हैं. मंच ने 2022 में दिल्ली और हरियाणा में किसानों पर केंद्र की कार्रवाई के खिलाफ भी अभियान चलाया था.
पीड़ित परिवार का आरोप
पीड़ित परिवारों में से एक टॉलीगंज के नेताजीनगर कॉलोनी में रहता है. उस परिवार के सदस्य सुरजीत पोद्दार ने कहा, ‘‘मेरी मां बसंती पोद्दार को 29 जनवरी को घटना के डेढ़ घंटे बाद अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन मैं और मेरे परिवार के सदस्य केवल एक पर्ची ही हासिल कर पाए, जिस पर उनकी मौत की सूचना लिखी थी. उनका पोस्टमार्टम 31 जनवरी को कोलकाता के एक अस्पताल में किया गया था, लेकिन उत्तर प्रदेश प्रशासन से कोई मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं मिलने के कारण हमारे परिवार को एक विचित्र स्थिति का सामना करना पड़ रहा है.’’